कोरोना के बाद, जीवन के कुछ और ढंग !
How will be World after Corona Virus pandemic !
world-economy-coronavirus |
आज जिस प्रकार पूरी दुनिया कोरोना नाम की वायरस से झूझ रही है इस से ऐसा लगता है कि जैसे हर इंसान के सोचने का तरीका ही बदल दिया है, आज हर किसी की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं लोगो के लाइफ के सभी लक्ष्य स्थगित हो चुके हैं , केवल मात्र अपने परिवार की जिंदगी को बचाना ही मुख्य लक्ष्य रह गया है। जो लोग मार्च के दूसरे सप्ताह तक अनेक प्रकार के कार्यों की सूचि बनाकर चल रहे थे आज लगभग भावशून्य में पहुँच चुके हैं क्योंकि सम्मुख की राह स्पष्ट दिखाई नहीं दे रही है। मानव इतिहास में मनुष्य इतना निर्बल शायद ही कभी रहा हो जब उसे अपने अस्तित्व पर इतना खतरा दिखाई दिया हो ! मानव ने कुदरत से आने वाली सभी विपदाओं का सामना करने के लिए कुछ न कुछ तयारी कर राखी थी परन्तु कोरोना एक कुदरती आपदा नहीं लगती, यह एक मानव रचित एक जटिल समस्या दिखती है जो बड़े ही शातिराना तरीके से दुनिया में फैलाई गयी है क्योंकि कुदरत कभी भी ना इलाज समस्याएं नहीं भेजती।
महीनो का लॉक डाउन एक मानसिक आघात !
दुनिया इस तरह लगातार महीनो के लॉक डाउन में कभी नहीं रही यह एक बिलकुल नया अनुभव है , पता नहीं मानव मन और शरीर इस लॉक डाउन को किस तरह ग्रहण करेगा , बहुत सम्भावना है कि इसे मन अलग तरीके से समझे और शरीर अलग तरीके से लेगा , जहा मन तनाव में है वही शरीर आराम में है , इसलिए इस लॉक डाउन का मानव जाति पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वावलोकन करना बहुत जल्दबाजी होगी।
चाहे मन और तन की जो भी स्तिथि हो लेकिन एक बात बड़ी साफ़ है कि मानव मन और तन सदैव गतिमान स्तिथि में ही सर्वोत्तम कार्य करता है और अनुकूलित महसूस करता है। जीवन का लॉक डाउन होना मानव को चिड़िया घर के जानवर की श्रेणी में ले आया है जहां पर सिंह के सामान बल होने पर भी निर्बलता का अहसास २४ घंटे बना रहता है।
दुनिया बढ़ रही है महाभारत की तरफ !
कोरोना प्रकरण समाप्त होने के बाद दुनिया अभूतपूर्व बदलावों के लिए तैयार रहे। जिस तरह एक सामान्य मानव लॉक डाउन में बेचैनी अनुभव करता है उसी प्रकार एक देश भी इसको अनुभव करता है जिसका परिणाम होता है किसी को इस पीड़ा के लिए दोषी ठहराना और उसके खिलाफ अपने प्रतिशोध को उजागर करना। आज दुनियाभर के देश इस पीड़ा को अनुभव कर रहे हैं और उनमे से बहुत से देशो ने अपनी पीड़ा का गुनहगार चिन्हित कर लिया है , मुमकिन है कि महामारी के बाद एक महाभारत का विश्व स्तरीय आयोजन हो। क्योंकि इतना गुब्बार बिना महाभारत के निकलना मुमकिन नहीं लगता।
जिस तरह अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गयी हैं उस से लगता है कि निकट भविष्य में आमजन के लिए इनका पुनः परिचालन जल्दी शुरू न हो , यह ग्लोबलाइजेशन के खिलाफ एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। दुनिया में बन रही ग्लोबलाइजेशन की अवधारणाओं को सबसे बड़ी चोट पहुँचाने का समय आ चूका है। हर देश अपने हितो की रक्षा करने के लिए ग्लोबलाइजेशन के भर्म को तोड़ने के लिए आतुर है। यह जहा एउरोपियन यूनियन के अस्तित्व के लिए खतरा है वही सभी छोटे मोटे अन्तर्राष्टीय संघठनो के लिए भी घातक होगा।
Also Read:
corona-impact-on-economy |
1930 के दशक जैसी होगी महामंदी !
जब 1930 में दुनिया में आर्थिक महामंदी आयी थी उसी समय दूसरे विश्व युद्ध की आधारशिला पड़नी शुरू हो गयी थी। वह समय सुचना क्रांति का नहीं था इस लिए लगभग डेढ़ दशक का समय लग गया दूसरा विश्व युद्ध के शुरू होने में। परन्तु आज एक छोटी सी खबर या अफवाह कुछ ही मिनट्स में एक देश से दूसरे देश में फ़ैल जाती है इसलिए संभावित खतरा भी बहुत जल्द दुनिया को चपेट में ले सकता है।
COVID-19 का इतिहास जब लिखा जायेगा तब यह कोई नहीं पूछेगा कि कोरोना वायरस से पहले कौन से देश कितने शक्तिशाली और धनवान थे सिर्फ यह गिना जायेगा कि किस देश ने कोरोना के सामने घुटने टेक दिए और किस देश ने कोरोना को धुल चटाई। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हर देश के साथ साथ उसके हर नागरिक की भूमिका का भी मूल्यांकन होगा क्योंकि इस लड़ाई में सैनिक की भूमिका हर नागरिक निभाएगा। जो देश इस जंग को होश और दिलेरी के साथ लड़ेंगे वो ही जीत को प्राप्त करेंगे। कोरोना महामारी के समाप्त होने के बाद बहुत से देश समृद्ध से कंगाल हो चुके होंगे , और कुछ देश गरीबी से बिखर चुके होंगे। जीवन ऐश्वर्य से छिटक कर सामान्य जीवन यापन को मजबूर हो चूका होगा।
Please do not enter any spam link in the comment box